काम की बात: बढ़े वेतन पर चार तरीके से बचा सकते हैं टैक्स, टेक होम सैलरी पर पड़ता है असर

सार

टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ोतरी के बाद अपने सकल वेतन (ग्रॉस सैलरी) में से एचआरए, यात्रा भत्ता, मेडिकल रिइंबर्समेंट को घटाएं। आयकर कानून में 80सी और 80डी जैसी विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट को भी हटा दें। इसके बाद ग्रॉस सैलरी में से जो राशि बचती है, वह कर योग्य होती है यानी उस पर स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।

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इस समय इन्क्रीमेंट (वेतन बढ़ोतरी) का दौर चल रहा है। कंपनियां प्रदर्शन और कौशल के हिसाब से कर्मचारियों का वेतन बढ़ा रही हैं। जब-जब वेतन बढ़ता है, कर योग्य आय भी बढ़ती है। इसका असर आपकी टेक होम सैलरी पर पड़ता है। हालांकि, आयकर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत उपलब्ध कटौतियों का लाभ उठाकर आप अपनी कर देनदारी कम कर सकते हैं।

टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ोतरी के बाद अपने सकल वेतन (ग्रॉस सैलरी) में से एचआरए, यात्रा भत्ता, मेडिकल रिइंबर्समेंट को घटाएं। आयकर कानून में 80सी और 80डी जैसी विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट को भी हटा दें। इसके बाद ग्रॉस सैलरी में से जो राशि बचती है, वह कर योग्य होती है यानी उस पर स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में विभिन्न टैक्स बचत योजनाओं में निवेश पर आप कर बचा सकते हैं। आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.50 लाख तक छूट ले सकते है।

ये हैं कुछ प्रमुख योजनाएं…

टैक्स सेविंग म्यूचुचल फंड : महंगाई से अधिक रिटर्न
इसमें निवेश करने पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक छूट मिलती है। इस म्यूचुअल फंड की लॉकइन अवधि तीन साल होती है यानी इससे पहले आप इस योजना से पैसे नहीं निकाल सकते हैं। इसमें निवेश न सिर्फ टैक्स बचाने का अच्छा साधन है बल्कि महंगाई से अधिक रिटर्न पाने का सबसे अच्छा तरीका भी है।

पीपीएफ : निवेश पर सरकार की गारंटी
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीपी) में निवेश पर कोई जोखिम नहीं रहता है। इसमें निवेश पर सरकार की गारंटी होती है। इसकी लॉकइन अवधि 15 साल होती है। निवेश पर वर्तमान में 7.1 फीसदी फायदा मिलता है, जो महंगाई के मुकाबले मामूली ज्यादा है। पीपीएफ में सालाना न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं, जिस पर 80सी के तहत छूट मिलती है।

टैक्स सेविंग एफडी: सुरक्षित निवेश
निवेश का यह जरिया उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो पैसे की सुरक्षा के साथ कर बचत करना चाहते हैं। टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की लॉकइन अवधि पांच साल है, जिसमें निवेश पर आप 80सी के तहत कर छूट पा सकते हैं। हालांकि, इस पर मिलने वाला ब्याज ‘अन्य स्रोतों से प्राप्त आय’ माना जाता है। इसलिए इस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है।

एनपीएस: अतिरिक्त छूट की सुविधा
सेवानिवृत्ति के लिए एनपीएस स्वैच्छिक एवं दीर्घकालिक निवेश योजना है। राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) की लॉकइन अवधि सेवानिवृत्ति तक जारी रहती है। इसमें निवेश पर 80सीसीडी (1) के तहत 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलती है। साथ ही 80सीसीडी (1बी) के तहत 1.5 लाख रुपये की सीमा के बाद अगर स्वैच्छिक 50,000 रुपये का अंशदान करते हैं तो अतिरिक्त कर छूट भी मिल सकती है।

मिलने वाली छूट का पूरा इस्तेमाल करें
कर संबंधी निवेश जरूरी नहीं है। यह पूरी तरह आपकी मर्जी पर निर्भर है। आयकर कानून की हर धारा के तहत छूट की सीमा होती है। अगर पूरी सीमा का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो आपको अधिक टैक्स चुकाना होगा। इसलिए अपनी कमाई पर टैक्स बचाने के लिए आयकर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट का पूरा इस्तेमाल करें। – आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार

विस्तार

इस समय इन्क्रीमेंट (वेतन बढ़ोतरी) का दौर चल रहा है। कंपनियां प्रदर्शन और कौशल के हिसाब से कर्मचारियों का वेतन बढ़ा रही हैं। जब-जब वेतन बढ़ता है, कर योग्य आय भी बढ़ती है। इसका असर आपकी टेक होम सैलरी पर पड़ता है। हालांकि, आयकर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत उपलब्ध कटौतियों का लाभ उठाकर आप अपनी कर देनदारी कम कर सकते हैं।

टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ोतरी के बाद अपने सकल वेतन (ग्रॉस सैलरी) में से एचआरए, यात्रा भत्ता, मेडिकल रिइंबर्समेंट को घटाएं। आयकर कानून में 80सी और 80डी जैसी विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट को भी हटा दें। इसके बाद ग्रॉस सैलरी में से जो राशि बचती है, वह कर योग्य होती है यानी उस पर स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में विभिन्न टैक्स बचत योजनाओं में निवेश पर आप कर बचा सकते हैं। आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.50 लाख तक छूट ले सकते है।

ये हैं कुछ प्रमुख योजनाएं…

टैक्स सेविंग म्यूचुचल फंड : महंगाई से अधिक रिटर्न

इसमें निवेश करने पर आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक छूट मिलती है। इस म्यूचुअल फंड की लॉकइन अवधि तीन साल होती है यानी इससे पहले आप इस योजना से पैसे नहीं निकाल सकते हैं। इसमें निवेश न सिर्फ टैक्स बचाने का अच्छा साधन है बल्कि महंगाई से अधिक रिटर्न पाने का सबसे अच्छा तरीका भी है।

पीपीएफ : निवेश पर सरकार की गारंटी

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीपी) में निवेश पर कोई जोखिम नहीं रहता है। इसमें निवेश पर सरकार की गारंटी होती है। इसकी लॉकइन अवधि 15 साल होती है। निवेश पर वर्तमान में 7.1 फीसदी फायदा मिलता है, जो महंगाई के मुकाबले मामूली ज्यादा है। पीपीएफ में सालाना न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं, जिस पर 80सी के तहत छूट मिलती है।

टैक्स सेविंग एफडी: सुरक्षित निवेश

निवेश का यह जरिया उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जो पैसे की सुरक्षा के साथ कर बचत करना चाहते हैं। टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की लॉकइन अवधि पांच साल है, जिसमें निवेश पर आप 80सी के तहत कर छूट पा सकते हैं। हालांकि, इस पर मिलने वाला ब्याज ‘अन्य स्रोतों से प्राप्त आय’ माना जाता है। इसलिए इस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है।

एनपीएस: अतिरिक्त छूट की सुविधा

सेवानिवृत्ति के लिए एनपीएस स्वैच्छिक एवं दीर्घकालिक निवेश योजना है। राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) की लॉकइन अवधि सेवानिवृत्ति तक जारी रहती है। इसमें निवेश पर 80सीसीडी (1) के तहत 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलती है। साथ ही 80सीसीडी (1बी) के तहत 1.5 लाख रुपये की सीमा के बाद अगर स्वैच्छिक 50,000 रुपये का अंशदान करते हैं तो अतिरिक्त कर छूट भी मिल सकती है।

मिलने वाली छूट का पूरा इस्तेमाल करें

कर संबंधी निवेश जरूरी नहीं है। यह पूरी तरह आपकी मर्जी पर निर्भर है। आयकर कानून की हर धारा के तहत छूट की सीमा होती है। अगर पूरी सीमा का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो आपको अधिक टैक्स चुकाना होगा। इसलिए अपनी कमाई पर टैक्स बचाने के लिए आयकर कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मिलने वाली छूट का पूरा इस्तेमाल करें। – आदिल शेट्टी, सीईओ, बैंक बाजार

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