Astrology
lekhaka-Gajendra sharma
नई दिल्ली, 04 मई। भारतीय ज्योतिष में दिन के अनेक विभाग किए हुए हैं इनमें अलग-अलग समय पर अलग-अलग काल होता है। इनमें से कोई शुभ होता है और कोई अशुभ। अशुभ काल को कोई भी शुभ या नया कार्य प्रारंभ करने के लिए टाल दिया जाता है।

आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ काल के बारे में…
- प्रात:काल : सूर्योदय से 48 मिनट पूर्व का समय प्रात:काल कहलाता है।
- अरुणोदयकाल : सूर्योदय से 1 घंटा 12 मिनट पूर्व का समय अरुणोदयकाल होता है।
- उषाकाल : सूर्योदय से 2 घंटा पूर्व का समय उषाकाल कहलाता है।
- अभिजितकाल : दोपहर 11.36 से 12.24 बजे तक, बुधवार को वर्जित होता है।
- प्रदोषकाल : सूर्यास्त के 48 मिनट बाद तक का समय प्रदोषकाल होता है।
- गोधूलिकाल : सूर्यास्त के 24 मिनट पहले तथा 24 मिनट बाद तक का समय।
- राहुकाल : प्रतिदिन डेढ़-डेढ़ घंटे का होता है। रविवार को सायं 4.30 से 6 तक, सोमवार को प्रात: 7.30 से 9 तक, मंगलवार को दोपहर 3 से 4.30 तक, बुधवार को दोपहर 12 से 1.30 तक, गुरुवार को दोपहर 1.30 से 3 तक, शुक्रवार को प्रात: 10.30 से 12 तक, शनिवार को प्रात: 9 से 10.30 तक। राहुकाल को प्रत्येक शुभ कार्य के लिए त्याग देना चाहिए।
षटकर्मो में मुद्राओं का प्रयोग बढ़ा देता है साधना में सफलता
- गुलिककाल : प्रतिदिन डेढ़-डेढ़ घंटे का होता है। रविवार को दोपहर 3 से 4.30 तक, सोमवार को दोपहर 1.30 से 3 तक, मंगलवार को दोपहर 12 से 1.30 तक, बुधवार को प्रात: 10.30 से 12 तक, गुरुवार को प्रात: 9 से 10.30 तक, शुक्रवार को प्रात: 7.30 से 9 तक, शनिवार को प्रात: 6 से 7.30 बजे तक होता है। कुछ विशेष कार्यो में यह समय त्याज्य रहता है।
- यमगंडकाल : यह भी प्रतिदिन डेढ़-डेढ़ घंटे का होता है। रविवार को दोपहर 12 से 1.30, सोमवार को प्रात: 10.30 से 12, मंगलवार को प्रात: 9 से 10.30 तक, बुधवार को प्रात: 7.30 से 9 तक, गुरुवार को प्रात: 6 से 7.30 तक, शुक्रवार को दोपहर 3 से 4.30 तक, शनिवार को दोपहर 1.30 से 3 बजे तक। यमगंडकाल को भी शुभ कार्यो में त्याग दिया जाता है।
English summary
What is Kaal? Which Time is auspicious or Which Time is inauspicious? read details here.
Story first published: Wednesday, May 4, 2022, 7:00 [IST]