न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Fri, 06 May 2022 04:09 PM IST
ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वा दिया।
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम आज होगा। कोर्ट के आदेश पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के एक्सपर्ट सर्वे करेंगे। ये मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से बिल्कुल लगी हुई है। दावा है कि इसे औरंगजेब ने एक मंदिर तोड़कर बनवाया था। आइए हम आपको शुरू से लेकर अब तक की इस विवाद की पूरी कहानी बताते हैं।
- ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।
- याचिकाकर्ता ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं। मस्जिद की दीवारों की भी जांच कर पता लगाया जाए कि ये मंदिर की हैं या नहीं। याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था।
- इन्हीं दावों पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने के लिए कहा है। इसके लिए विशेषज्ञों की कमेटी बनाई गई है।
- काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं।
- मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया। ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
- अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था। लेकिन ज्ञानवापी मामले में इसी कानून का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। 1993 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया था।
- 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी। उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा।
- इसी आदेश के बाद 2019 में वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी।
- आदेश में एक कमीशन नियुक्त किया गया और इस कमीशन को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की मौजूदगी में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी के आदेश दिए गए। 10 मई तक अदालत ने इसे लेकर पूरी जानकारी मांगी है।
मौजूदा समय ज्ञानवापी मस्जिद में प्रशासन ने केवल कुछ ही लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दे रखी है। ये वो लोग हैं जो हमेशा से यहां नमाज पढ़ते आए हैं। इन लोगों के अलावा यहां किसी को भी नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है। वहीं, मस्जिद से सटे काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शुभारंभ किया था। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ पहले के मुकाबले अब कहीं ज्यादा आने लगी है।
- पांच सदस्यों की कमेटी में अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोग, पुरातत्व विज्ञान के एक विशेषज्ञ और अनुभवी व्यक्ति को इस कमेटी का पर्यवेक्षक बनाया जाएगा।
- कमेटी जांच करेगी कि क्या मौजूदा ढांचा किसी इमारत को तोड़कर या फिर इमारत में कुछ जोड़कर बना है। कमेटी इस बात का भी पता लगाएगी कि क्या विवादित स्थल पर मस्जिद के निर्माण से पहले वहां कोई हिंदू समुदाय से जुड़ा मंदिर कभी मौजूद था।
- कमेटी इस पूरे कार्य की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराएगी। सर्वे के पूरे काम को गोपनीयता के साथ किया जाएगा। सर्वेक्षण स्थल पर आम जनता और मीडिया को प्रवेश की अनुमति नहीं रहेगी। इस संबंध में किसी के भी द्वारा मीडिया से कोई बात नहीं की जाएगी। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस पूरे सर्वे का खर्च उठाने का आदेश दिया है।
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वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम आज होगा। कोर्ट के आदेश पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के एक्सपर्ट सर्वे करेंगे। ये मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से बिल्कुल लगी हुई है। दावा है कि इसे औरंगजेब ने एक मंदिर तोड़कर बनवाया था। आइए हम आपको शुरू से लेकर अब तक की इस विवाद की पूरी कहानी बताते हैं।