सार
ईडी ने पूजा सिंघल से मंगलवार को करीब नौ घंटे तक पूछताछ की। पूजा अपने पति अभिषेक के साथ सुबह करीब 11 बजे एयरपोर्ट रोड स्थित हिनू इलाके में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय पहुंचे और रात करीब आठ बजे वहां से निकले। ईडी ने नौकरशाह, उनके पति, उनसे जुड़ी संस्थाओं और अन्य के खिलाफ छह मई को झारखंड और कुछ अन्य स्थानों पर छापेमारी के बाद पूछताछ की है।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड की खनन सचिव पूजा सिंघल को समन भेज कर मंगलवार को बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया था। खूंटी में मनरेगा राशि की कथित हेराफेरी से जुड़े धनशोधन मामले एवं अन्य आरोपों की जांच के सिलसिले में वह अपने पति के साथ यहां ईडी के सामने पेश हुईं। ईडी ने पूजा सिंघल से मंगलवार को करीब नौ घंटे तक पूछताछ की। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
सिंघल को बुधवार को अगले दौर की पूछताछ के लिए फिर से पेश होने को कहा गया है। ईडी ने धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत वर्ष 2000 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी सिंघल का बयान दर्ज किया। अधिकारियों ने कहा कि सिंघल के व्यवसायी पति अभिषेक झा का बयान भी दर्ज किया गया।
दंपति सुबह करीब 11 बजे एयरपोर्ट रोड स्थित हिनू इलाके में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कार्यालय पहुंचे और रात करीब आठ बजे वहां से निकले। ईडी ने नौकरशाह, उनके पति, उनसे जुड़ी संस्थाओं और अन्य के खिलाफ छह मई को झारखंड और कुछ अन्य स्थानों पर छापेमारी के बाद पूछताछ की है।
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने चार एसयूवी- एक जगुआर, एक फॉर्च्यूनर और दो होंडा ब्रांड की कारें भी जब्त की हैं – जो धनशोधन रोधी कानून के तहत गिरफ्तार सीए सुमन कुमार या उससे जुड़े व्यक्तियों के नाम पर थीं।
ईडी कार्यालय में दिन भर की पूछताछ के दौरान काफी व्यस्तता देखी गई। इस दौरान कुछ बक्सों के साथ कुछ कारें एजेंसी की इमारत में प्रवेश करती दिखी, जबकि बाहर कई मीडियाकर्मी खड़े थे।
सिंघल एवं अन्य के खिलाफ यह मामला धनशोधन से जुड़ा है, जिसमें झारखंड सरकार के पूर्व जूनियर इंजीनियर राम विनोद सिन्हा को ईडी ने 17 जून 2020 को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया था। उससे पहले उसके खिलाफ राज्य सतर्कता ब्यूरो की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद 2012 में एजेंसी द्वारा पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सिन्हा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की आपराधिक धाराओं के तहत धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से संबंधित आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। उस पर एक अप्रैल 2008 से 21 मार्च 2011 तक जूनियर इंजीनियर के रूप में काम करते हुए कथित तौर पर जनता के पैसे की धोखाधड़ी करके उसे अपने नाम के साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश करने का आरोप है।
एजेंसी ने पहले कहा था कि उक्त धन को खूंटी जिले में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत सरकारी परियोजनाओं के निष्पादन के लिए रखा गया था। सिन्हा ने ईडी को बताया कि “उसने जिला प्रशासन को पांच प्रतिशत कमीशन (धोखाधड़ी में से) का भुगतान किया है।”