ट्रेन की रफ्तार किस जगह रखनी है कितनी? लोको पायलट को कैसे चलता है पता, क्या है फंडा? जानिए

हाइलाइट्स

कोई ट्रेन किसी सेक्शन में कितने की स्पीड से चलेगी.
ये दो बातों पर निर्भर होता है.
जानें ट्रेन की स्पीड को कब ज्यादा-कम किय जाता है.

नई दिल्ली. सड़क पर चलते टाइम कई गाड़ियां होती है, कई सिग्नल होते हैं जिसके हिसाब से हम अपनी गाड़ी की स्पीड को कम ज्यादा करते हैं. लेकिन ट्रेन की पटरी पर न तो कोई गाड़ी होती है और न ही टैफिक में फसने का झंझट फिर भी ट्रेन कभी कम स्पीड में चलती है तो कभी तेज. क्या आप इसके पीछे का लॉजिक जानते हैं. आज हम आपको रेलवे से जुड़े एक बेहद ही रौचक तथ्य के बारे में बताएंगे. लोको पायलट ट्रेन की स्पीड को क्यों कम-ज्यादा करता है? या कब कम करनी होती है, कब ज्यादा करनी होती है उसे कैसे पता चलता है.

अगर आपने ट्रेन में सफर किया होगा तो देखा ही होगा कई बार ट्रेन अचानक तेज चलने लगती है और फिर थोड़ी ही देर में बिलकुल धीमी हो जाती है. वैसे तो इसमें सिग्नल के ग्रीन, येलो या रेड होने का अहम /योगदान होता है. लेकिन फिर भी एक सवाल मन में रह जाता है कि ट्रेन की एग्जेक्ट स्पीड आखिर कैसे तय होती है. बहुत कम ही लोग इस बारे में जानते होंगे कि आखिर ट्रेन की अधिकतम स्पीड लोको पायलट कैसे तय करता है, चलिए जानते हैं….

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ट्रेन की स्पीड दो बातों पर करती है निर्भर
कोई ट्रेन किसी सेक्शन में कितने की स्पीड से चलेगी. ये दो बातों पर निर्भर होता है. सबसे पहले ट्रेन की स्पीड इस बात पर निर्भर करती है कि उस सेक्शन में अधिकतम कितनी गति से चलने की अनुमति दी गई है. मान लीजिए किसी सेक्शन में ट्रेन की अधिकतम स्पीड 90 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई हो तो ट्रेन ज्यादा से ज्यादा उतनी ही स्पीड में चलेगी. भले ही ट्रेन की खुद की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा ही क्यों न हो. दूसरी बात अगर किसी सेक्शन की अनुमति प्राप्त अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर है लेकिन ट्रेन की अपनी स्पीड केवल 90 किलोमीटर प्रति घंटा है तो फिर वह ट्रेन उतनी ही गति से चल पाएगाी.

स्पीड में सिग्नल का है खाद रोल
ट्रेन की स्पीड को कब अधिकतम और न्यूनतम पर ले जाना है यह सिग्नल से पता चलता है. ग्रीन सिग्नल होने पर ट्रेन फुल स्पीड से निकल सकती है. वहीं, येलो सिग्नल का मतलब होता है कि स्पीड को घटा दें और अगले सिग्नल पर स्टॉप (रेड सिग्नल) के लिए तैयार रहें. भारतीय रेलवे के अनुसार, जहां ऑटोमैटिक सिग्नल काम कर रहे होते हैं वहां पीला सिग्नल देखते ही लोको पायलट को स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटे घटा होती है. उसे तब तक ट्रेन को उसी स्पीड पर चलाना चाहिए जब तक की आगे सिग्नल ग्रीन नहीं मिल जाता. अगर धुंध व कोहरा है तो ऑटोमैटिक सिग्नल वाले रास्ते पर ट्रेन की स्पीड ग्रीन सिग्नल होने पर भी 60 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए.

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