डब्ल्यूएचओ का दावा: दुनिया में पिछले दो साल में हुईं 1.5 करोड़ मौतें, इनमें 47 लाख भारत में, सरकार ने आंकड़ों पर उठाए सवाल

सार

डब्ल्यूएचओ के तहत वैज्ञानिकों को जनवरी 2020 और पिछले साल के अंत तक मौत की वास्तविक संख्या का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक 1.33 करोड़ से लेकर 1.66 करोड़ लोगों की मौत या तो कोरोना वायरस या स्वास्थ्य सेवा पर पड़े इसके प्रभाव के कारण हुई।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई है। विभिन्न देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है।इनमें से ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं हैं।  वहीं भारत में ये आंकड़ा 47 लाख है। ये संख्या आधिकारिक आँकड़ों से क़रीब 10 गुना ज़्यादा है।

 डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयियस ने इस आंकड़े को ‘गंभीर’ बताया है। उन्होंने कहा है कि इससे देशों को सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देशों को भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होना चाहिए।

डब्ल्यूएचओ की है रिपोर्ट
गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ के तहत वैज्ञानिकों को जनवरी 2020 और पिछले साल के अंत तक मौत की वास्तविक संख्या का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक 1.33 करोड़ से लेकर 1.66 करोड़ लोगों की मौत या तो कोरोना वायरस या स्वास्थ्य सेवा पर पड़े इसके प्रभाव के कारण हुई। यह आंकड़ा देशों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और सांख्यिकी मॉडलिंग पर आधारित है। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 से सीधे तौर पर मौत का विवरण नहीं मुहैया कराया है।

भारत ने जताई आपत्ति
वहीं, भारत ने कोविड-19 से हुई मौतों के आकलन की पद्धति को लेकर सवाल उठाया है। में भारत सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना से मौत को लेकर नए आंकड़े जारी किए हैं। जिससे पता चला कि पिछले साल की तुलना में 2020 में 4,74,806 अधिक मौतें हुईं। भारत ने 2021 के लिए मौत का अनुमान जारी नहीं किया है।

भारत ने गुरुवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता के मद्देनजर कोरोनोवायरस महामारी से जुड़े अतिरिक्त मृत्यु अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत ने कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडलों की वैधता और मजबूती और डेटा की कार्यप्रणाली संग्रह संदिग्ध हैं।

भारत ने कहा है कि अधिक मृत्यु दर अनुमान को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर भारत की कड़ी आपत्ति के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किए बिना ही अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है।  डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 47 लाख लोगों की मौत कोविड या स्वास्थ्य सेवाओं पर उसके असर के कारण हुई है।   

येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में संक्रामक रोग विशेषज्ञ अल्बर्ट कू ने आंकड़ों को लेकर कहा कि किसी संख्या के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचना जटिल काम है, लेकिन डब्ल्यूएचओ के ये आंकड़े यह समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें भविष्य में इस महामारी या अन्य का मुकाबला कैसे करना चाहिए। इसके लिए किस तरह की तैयारी रखनी चाहिए।

ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. भरत पंखानिया ने कहा कि खासकर गरीब देशों में कोविड-19 से हुई मौतों के बारे में सटीक संख्या का पता कभी नहीं चल सकेगा। उन्होंने कहा कि लंबी अवधि में कोविड-19 से अधिक नुकसान हो सकता है।

विस्तार

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई है। विभिन्न देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है।इनमें से ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं हैं।  वहीं भारत में ये आंकड़ा 47 लाख है। ये संख्या आधिकारिक आँकड़ों से क़रीब 10 गुना ज़्यादा है।

 डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयियस ने इस आंकड़े को ‘गंभीर’ बताया है। उन्होंने कहा है कि इससे देशों को सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि देशों को भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होना चाहिए।

डब्ल्यूएचओ की है रिपोर्ट

गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ के तहत वैज्ञानिकों को जनवरी 2020 और पिछले साल के अंत तक मौत की वास्तविक संख्या का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक 1.33 करोड़ से लेकर 1.66 करोड़ लोगों की मौत या तो कोरोना वायरस या स्वास्थ्य सेवा पर पड़े इसके प्रभाव के कारण हुई। यह आंकड़ा देशों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और सांख्यिकी मॉडलिंग पर आधारित है। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 से सीधे तौर पर मौत का विवरण नहीं मुहैया कराया है।

भारत ने जताई आपत्ति

वहीं, भारत ने कोविड-19 से हुई मौतों के आकलन की पद्धति को लेकर सवाल उठाया है। में भारत सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में कोरोना से मौत को लेकर नए आंकड़े जारी किए हैं। जिससे पता चला कि पिछले साल की तुलना में 2020 में 4,74,806 अधिक मौतें हुईं। भारत ने 2021 के लिए मौत का अनुमान जारी नहीं किया है।

भारत ने गुरुवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता के मद्देनजर कोरोनोवायरस महामारी से जुड़े अतिरिक्त मृत्यु अनुमानों को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारत ने कहा कि इस्तेमाल किए गए मॉडलों की वैधता और मजबूती और डेटा की कार्यप्रणाली संग्रह संदिग्ध हैं।

भारत ने कहा है कि अधिक मृत्यु दर अनुमान को पेश करने के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर भारत की कड़ी आपत्ति के बावजूद डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित किए बिना ही अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है।  डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 47 लाख लोगों की मौत कोविड या स्वास्थ्य सेवाओं पर उसके असर के कारण हुई है।   

येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में संक्रामक रोग विशेषज्ञ अल्बर्ट कू ने आंकड़ों को लेकर कहा कि किसी संख्या के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचना जटिल काम है, लेकिन डब्ल्यूएचओ के ये आंकड़े यह समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें भविष्य में इस महामारी या अन्य का मुकाबला कैसे करना चाहिए। इसके लिए किस तरह की तैयारी रखनी चाहिए।

ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. भरत पंखानिया ने कहा कि खासकर गरीब देशों में कोविड-19 से हुई मौतों के बारे में सटीक संख्या का पता कभी नहीं चल सकेगा। उन्होंने कहा कि लंबी अवधि में कोविड-19 से अधिक नुकसान हो सकता है।

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