तजिंदर बग्गा के पास क्या हैं कानूनी विकल्पः पंजाब सरकार की उम्मीद हाई कोर्ट पर टिकी, आर-पार के मूड में भाजपा  

सार

दिल्ली बीजेपी नेता हरीश खुराना ने अमर उजाला से कहा कि पंजाब पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के हर दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए बग्गा का ‘अपहरण’ किया।

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तजिंदर पाल सिंह बग्गा के मामले पर भाजपा आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। वह किसी भी तरह इस मामले में आम आदमी पार्टी को लीड लेने देने के मूड में नहीं है, क्योंकि पार्टी को लग रहा है कि इससे अरविंद केजरीवाल ‘बेलगाम’ हो सकते हैं और आने वाले दिनों में वे किसी भी भाजपा कार्यकर्ता को गिरफ्तार कराने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसा होने पर भाजपा कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी  नकारात्मक असर पड़ सकता है। लिहाजा पार्टी इस मामले में बढ़त लेने के लिए हर संभव कदम उठाने की कोशिश करेगी। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बग्गा के वकील पंजाब हाईकोर्ट में इस एफआईआर को निरस्त कराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए पूरे विवाद को राजनीतिक लाभ लेने के लिए ‘गढ़ा’  हुआ बताने का दांव चला जा सकता है। ऐसा न होने पर दिल्ली की अदालत में अंतरिम जमानत लेने की कोशिश भी की जाएगी। बचाव पक्ष का प्रयास है कि पंजाब में न्याय न मिलने की संभावना के आधार पर विवाद को दिल्ली स्थानांतरित कराया जाए, जिससे इस विवाद में पंजाब सरकार के बहाने आम आदमी पार्टी भारी न पड़ने पाए। इस बीच सोमवार को तजिंदर पाल सिहं बग्गा द्वारका कोर्ट में पेश होंगे।

बग्गा की गिरफ्तारी पर रहेगा जोर
वहीं, पंजाब सरकार चंडीगढ़ हाईकोर्ट में बग्गा को हिरासत में लेने की मांग कर सकती है। इसके लिए उन्हें सरेंडर करने को कहा जा सकता है। सरेंडर न करने पर उन्हें गिरफ्तार करने की अनुमति मांगी जा सकती है। यानी यह पूरा विवाद अब हाईकोर्ट के ऊपर टिका हुआ है जो इस मामले में 10 मई को सुनवाई करेगी।

टॉर्चर करने की थी तैयारी
दिल्ली बीजेपी नेता हरीश खुराना ने अमर उजाला से कहा कि पंजाब पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के हर दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए बग्गा का ‘अपहरण’ किया। उन्होंने कहा कि अदालतों का स्पष्ट आदेश है कि बाहरी राज्यों की पुलिस के द्वारा गिरफ्तारी करने पर स्थानीय पुलिस को सूचना देना आवश्यक है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। वहीं, यदि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को दूसरे राज्य में ले जाना होता है तो उसके पहले स्थानीय कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड लेनी होती है। लेकिन इस मामले में ट्रांजिट रिमांड नहीं ली गई।

हरीश खुराना ने आशंका जताई कि पंजाब पुलिस की इस करतूत से यही लग रहा है कि वे पहले बग्गा को पंजाब में अपने पास रखकर परेशान करते, उनको टॉर्चर करते और बाद में उन्हें कोर्ट में पेश करते। लेकिन फिलहाल, पंजाब पुलिस अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकी।

हम समझते हैं कश्मीरियों का दर्द
तजिंदर पाल सिंह बग्गा के माता-पिता लगातार अपनी पीड़ा लोगों को बता रहे हैं। उनकी मां कमलजीत कौर ने अमर उजाला से कहा कि दिल्ली सिख दंगों में सिख समुदाय के लोगों के साथ भयंकर अत्याचार हुआ था। उन्होंने अपने पास-पड़ोसियों के उस दर्द को अपने दिल में महसूस किया था। आज भी अनेक परिवार उस  दर्द के साथ उनके आसपास जी रहे हैं। ऐसे में वे कश्मीरी पंडितों के दर्द को ज्यादा बेहतर ढंग से महसूस कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को कश्मीरी पंडितों की व्यथा पर हंसना नहीं चाहिए था। यह राजनीति का विषय नहीं, इंसानियत की बात है।

उन्होंने कहा कि पूरा विवाद कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स के ऊपर अरविंद केजरीवाल को हंसने को लेकर था। बग्गा ने केवल यही अपील की थी कि अरविंद केजरीवाल को ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जिससे किसी पीड़ित की भावनाओं को चोट पहुंचे। उन्होंने कहा कि तजिंदर पाल का बयान एक राजनीतिक बयान था जिस पर किसी दूसरे राजनीतिक दल को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता – आतिशी और सौरभ भारद्वाज और अन्य – लगातार तजिंदर को गुंडा कहकर संबोधित कर रहे हैं। वे ऐसा तभी तक बोल सकते हैं जब तक वे केजरीवाल के साथ हैं। जिस दिन वे आम आदमी पार्टी छोड़ेंगे, उनका हाल भी वही होगा जो अलका लांबा का हुआ है। उन्होंने कहा कि राजनीति में एक शुचिता बनाए रखने की उम्मीद की जाती है, यह मर्यादा सबको निभानी चाहिए।   

समाधान का रास्ता दिखाएं सुप्रीम कोर्ट: केंद्र सरकार
दिल्ली पुलिस में पूर्व एसीपी वेदभूषण ने कहा कि यह चलन आम होता जा रहा है कि भावनाएं आहत होने के नाम पर पूरे देश में कहीं भी एफआईआर दर्ज कराई जा रही हैं। पहले केवल यह धार्मिक और सामाजिक कारणों से किया जाता था, लेकिन अब यह पूरी तरह राजनीतिक बदले के लिए किया जाने लगा है। इसका चलन बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र सरकार को इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए एक रास्ता निकालना चाहिए। अन्यथा फर्जी मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी और इससे पुलिस और न्यायपालिका का बहुमूल्य समय नष्ट होगा। इससे आम आदमी की परेशानी बढ़ेंगी जिससे बचने के लिए हर हाल में कोशिश की जानी चाहिए।

विस्तार

तजिंदर पाल सिंह बग्गा के मामले पर भाजपा आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। वह किसी भी तरह इस मामले में आम आदमी पार्टी को लीड लेने देने के मूड में नहीं है, क्योंकि पार्टी को लग रहा है कि इससे अरविंद केजरीवाल ‘बेलगाम’ हो सकते हैं और आने वाले दिनों में वे किसी भी भाजपा कार्यकर्ता को गिरफ्तार कराने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसा होने पर भाजपा कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी  नकारात्मक असर पड़ सकता है। लिहाजा पार्टी इस मामले में बढ़त लेने के लिए हर संभव कदम उठाने की कोशिश करेगी। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बग्गा के वकील पंजाब हाईकोर्ट में इस एफआईआर को निरस्त कराने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए पूरे विवाद को राजनीतिक लाभ लेने के लिए ‘गढ़ा’  हुआ बताने का दांव चला जा सकता है। ऐसा न होने पर दिल्ली की अदालत में अंतरिम जमानत लेने की कोशिश भी की जाएगी। बचाव पक्ष का प्रयास है कि पंजाब में न्याय न मिलने की संभावना के आधार पर विवाद को दिल्ली स्थानांतरित कराया जाए, जिससे इस विवाद में पंजाब सरकार के बहाने आम आदमी पार्टी भारी न पड़ने पाए। इस बीच सोमवार को तजिंदर पाल सिहं बग्गा द्वारका कोर्ट में पेश होंगे।

बग्गा की गिरफ्तारी पर रहेगा जोर

वहीं, पंजाब सरकार चंडीगढ़ हाईकोर्ट में बग्गा को हिरासत में लेने की मांग कर सकती है। इसके लिए उन्हें सरेंडर करने को कहा जा सकता है। सरेंडर न करने पर उन्हें गिरफ्तार करने की अनुमति मांगी जा सकती है। यानी यह पूरा विवाद अब हाईकोर्ट के ऊपर टिका हुआ है जो इस मामले में 10 मई को सुनवाई करेगी।

टॉर्चर करने की थी तैयारी

दिल्ली बीजेपी नेता हरीश खुराना ने अमर उजाला से कहा कि पंजाब पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के हर दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए बग्गा का ‘अपहरण’ किया। उन्होंने कहा कि अदालतों का स्पष्ट आदेश है कि बाहरी राज्यों की पुलिस के द्वारा गिरफ्तारी करने पर स्थानीय पुलिस को सूचना देना आवश्यक है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। वहीं, यदि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को दूसरे राज्य में ले जाना होता है तो उसके पहले स्थानीय कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड लेनी होती है। लेकिन इस मामले में ट्रांजिट रिमांड नहीं ली गई।

हरीश खुराना ने आशंका जताई कि पंजाब पुलिस की इस करतूत से यही लग रहा है कि वे पहले बग्गा को पंजाब में अपने पास रखकर परेशान करते, उनको टॉर्चर करते और बाद में उन्हें कोर्ट में पेश करते। लेकिन फिलहाल, पंजाब पुलिस अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकी।

हम समझते हैं कश्मीरियों का दर्द

तजिंदर पाल सिंह बग्गा के माता-पिता लगातार अपनी पीड़ा लोगों को बता रहे हैं। उनकी मां कमलजीत कौर ने अमर उजाला से कहा कि दिल्ली सिख दंगों में सिख समुदाय के लोगों के साथ भयंकर अत्याचार हुआ था। उन्होंने अपने पास-पड़ोसियों के उस दर्द को अपने दिल में महसूस किया था। आज भी अनेक परिवार उस  दर्द के साथ उनके आसपास जी रहे हैं। ऐसे में वे कश्मीरी पंडितों के दर्द को ज्यादा बेहतर ढंग से महसूस कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को कश्मीरी पंडितों की व्यथा पर हंसना नहीं चाहिए था। यह राजनीति का विषय नहीं, इंसानियत की बात है।

उन्होंने कहा कि पूरा विवाद कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स के ऊपर अरविंद केजरीवाल को हंसने को लेकर था। बग्गा ने केवल यही अपील की थी कि अरविंद केजरीवाल को ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जिससे किसी पीड़ित की भावनाओं को चोट पहुंचे। उन्होंने कहा कि तजिंदर पाल का बयान एक राजनीतिक बयान था जिस पर किसी दूसरे राजनीतिक दल को इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए।

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता – आतिशी और सौरभ भारद्वाज और अन्य – लगातार तजिंदर को गुंडा कहकर संबोधित कर रहे हैं। वे ऐसा तभी तक बोल सकते हैं जब तक वे केजरीवाल के साथ हैं। जिस दिन वे आम आदमी पार्टी छोड़ेंगे, उनका हाल भी वही होगा जो अलका लांबा का हुआ है। उन्होंने कहा कि राजनीति में एक शुचिता बनाए रखने की उम्मीद की जाती है, यह मर्यादा सबको निभानी चाहिए।   

समाधान का रास्ता दिखाएं सुप्रीम कोर्ट: केंद्र सरकार

दिल्ली पुलिस में पूर्व एसीपी वेदभूषण ने कहा कि यह चलन आम होता जा रहा है कि भावनाएं आहत होने के नाम पर पूरे देश में कहीं भी एफआईआर दर्ज कराई जा रही हैं। पहले केवल यह धार्मिक और सामाजिक कारणों से किया जाता था, लेकिन अब यह पूरी तरह राजनीतिक बदले के लिए किया जाने लगा है। इसका चलन बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और केंद्र सरकार को इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए एक रास्ता निकालना चाहिए। अन्यथा फर्जी मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी और इससे पुलिस और न्यायपालिका का बहुमूल्य समय नष्ट होगा। इससे आम आदमी की परेशानी बढ़ेंगी जिससे बचने के लिए हर हाल में कोशिश की जानी चाहिए।

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