हाइलाइट्स
गुलखैरा की खेती मुख्य रूप से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में होती है.
अब उत्तर भारत में इसकी खेती की जाने लगी है.
गुलखैरा का फूल, पत्तियां और तने हर चीज बिकती है.
नई दिल्ली. आजकल के समय में लगभग हर नौकरीपेशा चाहता है कि उसके पास आय का कोई दूसरा स्रोत हो. ऐसा कोई सोर्स जहां निवेश कम हो लेकिन एक अच्छी आय बन जाए. अगर आप भी नौकरी के साथ या नौकरी छोड़कर अपना कुछ काम करना चाहते हैं तो गुलखैरा की खेती (Gulkhaira Farming) आपके लिए एकदम सही विकल्प हो सकती है. यह एक नकदी फसल है जिससे आपकी जबरदस्त कमाई हो सकती है. वैसे तो यह खेती मुख्य रूप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में की जाती है लेकिन इसका चलन अब धीरे-धीरे भारत में भी बढ़ रहा है.
गुलखैरा का एक ऐसा पौधा है जिसकी पत्तियों से लेकर जड़ों तक सब बिकता है. यह पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और इसीलिए इसकी बाजार में मांग भी ज्यादा होती है और इसका दाम भी अच्छा मिलता है. गुलखैरा की खेती कर कई किसानों की आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है. गुलखैरा की खेती काफी कम खर्च वाली खेती है. इसलिए आपको ज्यादा पैसे लगाने की भी चिंता नहीं करनी है. इसे आप किसी भी फसल के बीच में लगा सकते हैं. आपको इसके लिए अलग से पूरे खेत को खाली करने की कोई जरूरत नहीं है.
बीज पर खर्च
इस खेती की एक और अच्छी बात ये है कि आपको बीज पर बार-बार पैसे नहीं खर्चने होंगे. आपने जो बीज पहली बार खरीदे थे उससे उपजे पौधे के बीज से दोबारा बुआई की जा सकती है. बता दें कि गुलखैरा का मुख्य उत्पाद उसका फूल है लेकिन बिक्री इस पौधे के हर हिस्से की होती है. इसलिए एक पौधे से आपके पास कमाई के कई साधन होते हैं.
कहां होता है इसका इस्तेमाल
गुलखैरा के पौधे का इस्तेमाल अलग-अलग तरह की दवाएं बनाने में किया जाता है. हालांकि, यह मर्दाना ताकत की दवाओं में इस्तेमाल किये जाने के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा गुलखैरा के फूल का इस्तेमाल खांसी, बुखार व इसी तरह की अन्य बीमारियों से लड़ने वाली दवाओं में किया जाता है. भारत में इसकी खेती कन्नौज, हरदोई और उन्नाव जैसे जिलों में की जा रही है.
कितनी होगी कमाई
खबरों की मानें तो गुलखैरा प्रति क्विंटल 10,000 रुपये में बिकता है. 1 बीघे में आप 5 क्विंटल गुलखैरा की खेती कर सकते हैं. यानी 1 बीघे से आप 50,000 रुपये तक या उससे ऊपर की कमाई आराम से कर सकते हैं. गुलखैरा की खेती नवंबर में शुरू की जाती है. इस समय बीज डाले जाते हैं और अप्रैल-मई में यह तैयार हो जाता है. इसे तोड़ने की जरूरत नहीं होती. एक बार तैयार हो जाने के बाद तने समेत इसके फूल और पत्तियां नीचे गिर जाती है जिन्हें इकट्ठा कर लिया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : May 27, 2023, 13:00 IST