लॉकडाउन में सांसद ने नौकरी से निकाला तो राजमा-चावल ने बदल दी इस कपल की जिंदगी – News18 हिंदी

नई दिल्ली. कोविड-19 महामारी की वजह से बीते साल मार्च में लगे लॉकडाउन में लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं और कईयों को धंधे से हाथ धोना पड़ गया. ऐसी विकट स्थिति में एक सांसद के यहां नौकरी करने वाला एक कपल भी सड़क पर आ गया. नौकरी छूटी पर हार मानने की बजाय यह कपल संघर्ष के पथ पर डटा रहा.
पैसे की कमी की वजह से दंपती बड़ा बिजनेस नहीं कर सकता था तो महज राजमा और चावल के दम पर फिर से अपने आपको खड़ा कर लिया. यह दंपती दिल्ली के करन कुमार और अमृता हैं, जिन्होने अपने मजबूत इरादों के जरिए अपने आप को महामारी के दौरान न सिर्फ आर्थिक मुश्किल से बाहर निकाला बल्कि खुद ने लिए आमदनी का नया जरिया भी ईजाद किया.
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सांसद के दबाव में क्वार्टर तक खाली करना पड़ा
ब्रुट इंडिया (Brut India) की एक रिपोर्ट के अनुसार करन कुमार बताते हैं कि पहले वो एक सांसद के लिए ड्राइवर की नौकरी करते थे. इसी बीच देशव्यापी लॉकडाउन के एक महीने बाद ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. करन बताते हैं कि उन्हें नौकरी से निकालते हुए यह तर्क दिया गया था कि सांसद अब उनका खर्च वहन नहीं कर सकते हैं. इतना ही नहीं करन जिस क्वार्टर में रहा करते थे उन्हे सांसद के दबाव में आकर उसे भी खाली करना पड़ गया. वो घर छोड़ने के बाद करन और उनकी पत्नी के पास रहने का कोई अन्य ठिकाना नहीं था, उन्होने अपने संबंधियों से भी इस संबंध में मदद मांगने की कोशिश की लेकिन कोई बात नहीं बन सकी.
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पत्नी के सुझाव पर खुद का काम-धंधा शुरू करने की बनाई योजना
करन ने इसके बाद अन्य नौकरियां ढूंढनी शुरू कर दीं, लेकिन उस दौरान नौकरी मिलना लगभग नामुमकिन सा था. आर्थिक तंगी ऐसे बिगड़े कि खाना खाने के लिए गुरुद्वारे जाना पड़ता था, जबकि घर न होने के चलते रात में सोने के लिए अपनी कार का इस्तेमाल किया. जब लॉकडाउन में थोड़ी ढील मिलनी शुरू हुई, तब करन ने अपने एक दोस्त से कुछ रुपए उधर मांगे और फरीदाबाद इलाके में एक कमरा किराए पर लिया. इसके बाद अमृता ने करन को यह सुझाव दिया कि क्यों न वो खाने का कुछ समान बनाएं और लोगों के बीच उसे बेंचे, हालांकि इस दौरान दोनों ही इस बात को लेकर संशय में थे कि लोग बाहर आकर खाने पर कितना भरोसा करेंगे.
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घर का कुछ सामान बेच कर जुटाया किराने का सामान
कुमार ने घर का कुछ सामान बेच कर किराने का सामान जुटाया और इस तरह से दंपती ने अपनी नई पारी की शुरुआत की. इस मुश्किल घड़ी में खुद को खड़ा रख पाने की उम्मीद के साथ ही उन्होने मध्य दिल्ली की तालकटोरा लेन के पास राजमा-चावल के साथ ही कढ़ी-चावल और छोले-चावल भी बेंचने शुरू कर दिए. पहला दिन करन और अमृता के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं रहा, उन्हे सिर्फ 320 रुपये की ही आमदनी हुई, जोकि उनकी लागत से बहुत कम थी, लेकिन इससे उनके हौसले नहीं डगमगाए. अगले ही दिन से उनके स्टॉल पर लोगों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई. आज आलम यह है कि करन और अमृता अपने इसी स्टॉल के जरिये एक दिन में 22 सौ से 24 सौ रुपए तक की आमदनी कर ले रहे हैं. करन का कहना है कि वो अब नौकरी की तलाश नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसी स्टॉल पर पूरा ध्यान लगा रहे हैं.

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