श्रीलंका संकट: रानिल विक्रमसिंघे बने प्रधानमंत्री, पांचवीं बार संभालेंगे देश की कमान, संसद में है केवल एक सीट

सार

आजादी के बाद से संबसे गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद पर रानिल विक्रमसिंघे की वापसी हो गई है। देश के मुख्य विपक्षी नेता सजिथ प्रेमदास ने भी राष्ट्रपति को एक पत्र लिख कर इस पद को संभालने की इच्छा व्यक्त की थी।

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अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक दौर का सामना कर रहे श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को गुरुवार को देश का अगला प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है। रानिल विक्रमसिंघे के पास 225 सदस्यीय संसद में केवल एक सीट है। यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के 73 वर्षीय नेता विक्रमसिंघे ने बुधवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से बात की थी। इससे पहले दिन में यूएनपी के वरिष्ठ नेताओं ने विक्रमसिंघे के शपथग्रहण के बारे में जानकारी दी थी।

2020 में हुए संसदीय चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी यूएनपी जिलों की एक भी सीट जीतने में असफल रही थी। यहां तक कि पार्टी के गढ़ माने जाने वाले कोलंबो से प्रत्याशी विक्रमसिंघे को भी हार का सामना करना पड़ा था। 

बाद में उन्होंने कुल राष्ट्रीय वोट के आधार पर यूएनपी को आवंटित एकमात्र राष्ट्रीय लिस्ट के जरिए संसद में अपना रास्ता बनाया था। इसके बाद उनके डिप्टी सजिथ प्रेमदास ने अलग हुए एसजेबी का नेतृत्व किया था और मुख्य विपक्ष के रूप में पहचान बनाई थी। समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रेमदास ने राष्ट्रपति को एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने देश का अगला प्रधानमंत्री बनने की इच्छा व्यक्त की थी। 

चार बार देश के प्रधानमंत्री रहे विक्रमसिंघे को 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने पद से निष्कासित कर दिया था। हालांकि, दो महीने बाद ही उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना दिया गया था। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि उनके पास अंतरिम प्रशासन का नेतृत्व करने के लिए क्रॉस पार्टी समर्थन है जिसे छह महीने चलना है। 

सूत्रों ने कहा कि सत्ताधारी श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के सदस्य, मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) का एक वर्ग और कुछ अन्य पार्टियों ने संसद में विक्रमसिंघे के लिए बहुमत प्रदर्शित करने के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था। 

यूएनपी के चेयरमैन वजीरा अभयवर्धना ने कहा है कि नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद विक्रमसिंघे संसद में बहुमत पाने में सक्षम हो जाएंगे। विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री के तौर पर महिंदा राजपक्षे का स्थान लिया गै जिन्होंने सोमवार को इस्तीफा दिया था।

विक्रमसिंघे को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है जो दूरगामी नीतियों के साथ अर्थव्यवस्था को प्रबंधित कर सकते हैं। उन्हें देश का ऐसा नेता माना जाता है जो भीषण संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कमान संभाल सकते हैं।

विस्तार

अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक दौर का सामना कर रहे श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को गुरुवार को देश का अगला प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है। रानिल विक्रमसिंघे के पास 225 सदस्यीय संसद में केवल एक सीट है। यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के 73 वर्षीय नेता विक्रमसिंघे ने बुधवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से बात की थी। इससे पहले दिन में यूएनपी के वरिष्ठ नेताओं ने विक्रमसिंघे के शपथग्रहण के बारे में जानकारी दी थी।

2020 में हुए संसदीय चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी यूएनपी जिलों की एक भी सीट जीतने में असफल रही थी। यहां तक कि पार्टी के गढ़ माने जाने वाले कोलंबो से प्रत्याशी विक्रमसिंघे को भी हार का सामना करना पड़ा था। 

बाद में उन्होंने कुल राष्ट्रीय वोट के आधार पर यूएनपी को आवंटित एकमात्र राष्ट्रीय लिस्ट के जरिए संसद में अपना रास्ता बनाया था। इसके बाद उनके डिप्टी सजिथ प्रेमदास ने अलग हुए एसजेबी का नेतृत्व किया था और मुख्य विपक्ष के रूप में पहचान बनाई थी। समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रेमदास ने राष्ट्रपति को एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने देश का अगला प्रधानमंत्री बनने की इच्छा व्यक्त की थी। 

चार बार देश के प्रधानमंत्री रहे विक्रमसिंघे को 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने पद से निष्कासित कर दिया था। हालांकि, दो महीने बाद ही उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना दिया गया था। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि उनके पास अंतरिम प्रशासन का नेतृत्व करने के लिए क्रॉस पार्टी समर्थन है जिसे छह महीने चलना है। 

सूत्रों ने कहा कि सत्ताधारी श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के सदस्य, मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) का एक वर्ग और कुछ अन्य पार्टियों ने संसद में विक्रमसिंघे के लिए बहुमत प्रदर्शित करने के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया था। 

यूएनपी के चेयरमैन वजीरा अभयवर्धना ने कहा है कि नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद विक्रमसिंघे संसद में बहुमत पाने में सक्षम हो जाएंगे। विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री के तौर पर महिंदा राजपक्षे का स्थान लिया गै जिन्होंने सोमवार को इस्तीफा दिया था।

विक्रमसिंघे को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है जो दूरगामी नीतियों के साथ अर्थव्यवस्था को प्रबंधित कर सकते हैं। उन्हें देश का ऐसा नेता माना जाता है जो भीषण संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कमान संभाल सकते हैं।

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