सुप्रीम कोर्ट : बच्चों का स्कूल जाना सुनिश्चित करना राज्य सरकार का दायित्व

एजुकेशन डेस्क, अमर उजाला
Published by: देवेश शर्मा
Updated Tue, 10 May 2022 12:25 AM IST

सार

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर यह सुनिश्चित करने का दायित्व है कि बच्चे स्कूलों में जाएं। 

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर यह सुनिश्चित करने का दायित्व है कि बच्चे स्कूलों में जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कोरोना वायरस महामारी के कारण अपने माता-पिता या अभिभावकों को खोने वाले बच्चों, या नौकरी गंवाने वाले या आजीविका खोने वाले अभिभावकों के बच्चों के स्कूल छोड़ने पर चिंता जताते हुए की।
 

एनसीपीसीआर को एक पोर्टल शुरू करने का निर्देश

सुनवाई के दौरान जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को एक पोर्टल शुरू करने का निर्देश दिया। पोर्टल पर इस मामले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई कार्रवाई को अपलोड किया जाए। साथ ही शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को आठ सप्ताह के भीतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एक रिपोर्ट की जांच के बाद एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। 
 

जिला-वार नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को शिक्षा या महिला और बाल विभाग से एक जिला-वार नोडल अधिकारी नियुक्त करने का भी निर्देश दिया, जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को एनसीपीसीआर द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में उन छात्रों के माता-पिता को व्यक्तिगत रूप से सूचित करने और उनका नामांकन कराने का निर्देश देगा।
 

अदालत के आदेशों का प्रचार करने के निर्देश

शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से उसके द्वारा पारित उपायों और आदेशों का व्यापक प्रचार करने को कहा। इससे पहले शीर्ष अदालत ने पहले सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को सड़क स्थितियों में बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए एनसीपीसीआर द्वारा तैयार एसओपी को लागू करने का निर्देश दिया था। 

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर यह सुनिश्चित करने का दायित्व है कि बच्चे स्कूलों में जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कोरोना वायरस महामारी के कारण अपने माता-पिता या अभिभावकों को खोने वाले बच्चों, या नौकरी गंवाने वाले या आजीविका खोने वाले अभिभावकों के बच्चों के स्कूल छोड़ने पर चिंता जताते हुए की।

 

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