नई दिल्ली. कोरोना संकट के बीच रेस्टोरेंट कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. उपभोक्ताओं के मन में डर बना रहता है कि जिन बर्तनों में खाना डिलिवर किया जा रहा है वो अच्छे से साफ किए भी गए हैं या नहीं. वहीं, प्लास्टिक के बर्तनों (Plastic Cutlery) को बार बार छुए जाने पर संक्रमण फैलने का खतरा भी बना रहता है. ऐसे में बेंगलुरु के स्टार्टअप ‘एडिबलप्रो’ (EdiblePRO) के बनाए बर्तन अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं.
दरअसल, ये बर्तन एक बार ही सर्व किए जा सकते हैं यानी एक कटलरी सेट का इस्तेमाल सिर्फ एकबार हो सकता है. इस कटलरी की इससे भी बड़ी खासियत ये है कि इसे धोने का झंझट नहीं है. खाना खत्म करने के बाद आप चम्मच, कटोरी, प्लेट, गिलास सबकुछ खा सकते हैं. यानी बर्तन धोने में बेकार जाने वाले पानी की भी बचत हो जाती है.
80 से ज्यादा तरह के कटलरी प्रोडक्ट बनाती है एडिबलप्रो
टेक कंपनी IBM को छोड़कर अपनी कंपनी एडिबलप्रो शुरू करने वाली शैला गुरुदत्त और लक्ष्मी भीमाचार बताती हैं कि उनके प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल सिंगल यूज प्लास्टिक से बने चम्मच, कप, कटोरी की जगह किया जा सकता है. ये खाए जाने वाले ना सिर्फ स्वादिष्ट होते हैं बल्कि पौष्टिक भी होते हैं. एडिबलप्रो 80 से ज्यादा तरह के कटलरी प्रोडक्ट बनाती है. इनकी कीमत भी काफी कम होती है. बता दें कि शैला और लक्ष्मी ने IBM की नौकरी छोड़ने के बाद 2018 में ये कंपनी शुरू की थी.
नुकसानदायक रंगों का नहीं किया जाता है इस्तेमाल
एडिबलप्रो को रिसर्च एंड डेवलपमेंट में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) से काफी मदद मिली. शैला ने घर के बने आटे और कई दूसरी खाने पीने की चीजों पर प्रयोग कर अलग अलग प्रोडक्ट बनाए. बेंगलुरु में एफएसएसएआई प्रमाणित प्रयोगशाला की ओर से कटलरी के नमूनों को मंजूरी मिलने के बाद दोनों ने कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया. इन प्रोडक्ट्स में नुकसादनदायक रंगों या प्रीजर्वेटिव्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. कटलरी को रंगनी बनाने के लिए चुकंदर, गाजर, पालक समेत कई सब्जियों और फलों से निकाले गए रंगों का इस्तेमाल किया जाता है.
फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण पौष्टिक भी
शैला और लक्ष्मी ने बताया कि उनके कटलरी प्रोडक्ट्स बाजरा, अनाज, दाल और मसालों से बने होते हैं. ये सभी चीजें सीधे स्थानीय किसानों से ली जाती हैं. कटलरी फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण काफी पौष्टिक होती हैं. सभी प्रोडक्ट पलानहल्ली में तैयार किए जाते हैं. इससे ग्रामीण महिलाओं को काम भी मिल जाता है. भोजन और नाश्ते में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों की शेल्फ लाइफ छह महीने है. चम्मच, चाकू, कांटा, कटोरे, प्लेट, कप को बिना पकाए सीधे खाया जा सकता है. ये लंबे समय तक चलते हैं. सूप में एक बार डुबोने के बाद चम्मच को गलने में एक घंटे से ज्यादा समय लगता है. इन उत्पादों की कीमत 2 रुपये से 155 रुपये के बीच है.
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Tags: Business ideas, New Business Idea, Success Story
FIRST PUBLISHED : August 13, 2021, 05:10 IST