Aaj Ka Shabd Daras Atal Bihari Vajpayee Best Poem Unchai – आज का शब्द: दरस और अटल बिहारी वाजपेयी की कविता- ऊँचाई

                
                                                             
                            'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- दरस, जिसका अर्थ है- दर्शन, दीदार, देखादेखी। प्रस्तुत है अटल बिहारी वाजपेयी की कविता- ऊँचाई
                                                                     
                            

ऊँचे पहाड़ पर, 
पेड़ नहीं लगते, 
पौधे नहीं उगते, 
न घास ही जमती है। 

जमती है सिर्फ़ बर्फ़, 
जो कफ़न की तरह सफ़ेद 
और मौत की तरह ठंडी होती है 
खेलती, खिलखिलाती नदी, 
जिसका रूप धारण कर, 
अपने भाग्य पर बूँद-बूँद रोती है। 

ऐसी ऊँचाई, 
जिसका परस, 
पानी को पत्थर कर दे, 
ऐसी ऊँचाई 
जिसका दरस हीन भाव भर दे, 
अभिनंदन की अधिकारी है, 
आरोहियों के लिए आमंत्रण है, 
उस पर झंडे गाड़े जा सकते हैं, 
किंतु कोई गौरैया, 
वहाँ नीड़ नहीं बना सकती, 
न कोई थका-माँदा बटोही, 
उसकी छाँव में पल भर पलक ही झपका सकता है। 
 

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4 hours ago

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