'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- धनिक, जिसका अर्थ है- धनी व्यक्ति। प्रस्तुत है सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता- हार तुमसे बनी है जयहार तुमसे बनी है जय,
जीत की जो चक्षु में क्षय।विषम कम्पन बली के उर,
सदुन्मोचन छली के पुर,
कामिनी के अकल नूपुर,
भामिनी के हृदय में भय।रच गये जो अधर अनरुण,
बच गये जो विरह-सकरुण,
अनसुने जो सच गये सुन,
जो न पाया, मिला आशय।क्षणिकता चिर-धनिक की है,
पणिकता जग-वणिक की है,
राशि जैसे कणिक की है,
वाम जैसे है निरामय।
2 hours ago