Lijjat Papad success Story start business only Rs 80 now Thousand crore turnover know how varpat – News18 हिंदी

नई दिल्ली. शादी हो या कोई उत्सव या फिर त्योहार..लिज्जत पापड़ हो हर बार… कर्रम, कुर्रम…कुर्रम कर्रम… जी हां. वहीं लिज्जत पापड़ (Lijjat Papad) जिसे आप बचपन से अपने टीवी पर ऐड में देखते होंगे.. जो आपके किचन में और सुपरमार्केट में सालों से जगह बनाया हुआ है. आज भी जब कभी आंखें लिज्जत पापड़ को देखती हैं तो उनमें विश्वास और महिला सशक्तिकरण का भाव झलकता है. भारत में शायद ही कोई होगा, जिसे स्वादिष्ट लिज्जत पापड़ की जानकारी न हो. लिज्जत पापड़ जितना पॉपुलर है, उतनी ही उम्दा है इसके सफल होने की कहानी (Success Story). सात सहेलियों और गृहणियों द्वारा शुरू किया गया लिज्जत पापड़ आज सफल और प्रेरक कहानी बन गया है. आज यह कंपनी पूरे भारत में 45,000 महिलाओं को रोजगार दे रही है. तो आइए जानते हैं कैसे 7 महिलाओं ने 80 रुपये में एक कारोबार को शुरू किया और फिर उसे दुनियाभर में मशहूर कर दिया. आज यह कंपनी करोड़ों में कमाई कर रही है.

यहां से शुरू हुआ था यह सफर…
मुंबई की रहने वाली जसवंती जमनादास ने पहली बार साल 1959 में ने अपनी 6 सहेलियों के साथ मिलकर लिज्जत पापड़ की बुनियाद रखी थी. इसे शुरू करने के पीछे इन सात महिलाओं का मकसद इंडस्ट्री शुरू करना या ज्यादा पैसा कमाना नहीं था. इसके जरिए वो अपने परिवार के खर्च में अपना हाथ बंटाना चाहती थी. चूंकि ये महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थीं इसलिए घर से बाहर जाकर काम करने में भी इन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. लिहाजा, इन गुजराती महिलाओं ने पापड़ बनाकर बेचने की योजना बनाई, जिसे वह घर में ही रहकर बना सकती थीं. जसवंती जमनादास पोपट ने फैसला किया कि वो और उनके साथ शामिल हुईं पार्वतीबेन रामदास ठोदानी, उजमबेन नरानदास कुण्डलिया, बानुबेन तन्ना, लागुबेन अमृतलाल गोकानी, जयाबेन विठलानी पापड़ बनाने का काम शुरू करेंगी. उनके साथ एक और महिला थी, जिसे पापड़ों को बेचने का जिम्मा सौंपा गया.

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उधार के पैसे शुरू हुआ कारोबार
उधार लिए 80 रुपये से महिलाओं ने पापड़ बनाने की एक म​शीन खरीद ली और साथ में पापड़ बनाने के लिए जरूरी सामान भी खरीदा. शुरुआत में महिलाओं ने पापड़ के चार पैकेट बनाए और उन्हें एक व्यापारी के पास जाकर बेच दिया. इसके बाद व्यापारी ने महिलाओं से और पापड़ की मांग की. इसके बाद महिलाओं ने दिन-रात मेहनत करना शुरू कर दिया और बिक्री दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही चली गई. इसके बाद व्यापरी ने पापड़ की क्वालिटी को बेहतर करने के लिए कहा. साथ ही, उन्होंने इन महिलाओं को खाता संभाला, मार्केटिंग आदि के बारे में ट्रेनिंग देने में भी मदद की. इन सात महिलाओं का यह समूह एक कोआपरेटिव सिस्टम बन गया. इसमें 18 साल से ज्यादा उम्र वाली जरूरतमंद महिलाओं को जोड़ा गया. लिज्जत पापड़ के कारोबार ने उस समय में उन्हें 6196 की वार्षिक आय दी थी और जल्दी ही, देखते-देखते इससे हजारों महिलाएं जुड़ती चली गईं.

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हजार करोड़ का टर्नओवर
लिज्जत पापड़ को साल 2002 में इकोनॉमिक टाइम्स का बिजनेस वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड, 2003 में देश के सर्वोत्तम कुटीर उद्योग सम्मान समेत 2005 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ब्रांड इक्विटी अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. 80 रुपये की उधारी से शुरू हुआ पापड़ का करोबार आज दुनिया भर में छाया है और इसका टर्नओवर करीब 100 करोड़ रुपये है.

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