Russia-ukraine War: अगर रूस ने यूक्रेन पर परमाणु हमला कर दिया तो क्या-क्या बदल जाएगा, अमेरिका-नाटो कैसे देंगे जवाब?

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रूस-यूक्रेन के बीच दो महीने से ज्यादा वक्त से संघर्ष चल रहा है। इस संघर्ष के दौरान कई बार ये बात सामने आई कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के खिलाफ कभी भी न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। नौ मई को रूस के विजय दिवस से पहले एक बार फिर इस तरह की चर्चा है। पश्चिमी देशों के कई विश्लेषक और राजनेता भी ऐसा मानते हैं।

पश्चिम के देशों का इस मामले को लेकर क्या कहना है? रूस ने इसे लेकर क्या कहा है? रूस द्वारा परमाणु हथियारों का उपयोग करने की कितनी आशंकाएं हैं? आइये सामझते हैं…

24 फरवरी को पुतिन ने यूक्रेन पर हमले का एलान किया। इस दौरान पुतिन ने परोक्ष रूप से पश्चिमी देशों को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि इस सैन्य ऑपरेशन में अगर पश्चिमी देशों ने हस्तक्षेप किया तो रूस परमाणु हमले पर भी विचार कर सकता है। इस दौरान उन्होंने कहा था कि अगर कोई हमारे देश और हमारे लोगों के लिए खतरा पैदा करता है तो उन्हें पता होना चाहिए कि रूस तुरंत जवाब देगा। इसके परिणाम ऐसे होंगे जैसे आपने अपने पूरे इतिहास में कभी नहीं देखा होगा।

तीन दिन बाद 27 फरवरी को नाटो नेताओं के आक्रामक बयानों और मास्को के खिलाफ पश्चिमी आर्थिक प्रतिबंधों के बाद पुतिन फिर सामने आए। इस बार भी उन्होंने इसी तरह के संकेत दिए और अपनी सेना  को रूस के न्यूक्लियर अलर्ट पर रहने का आदेश दिया। 

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी परमाणु युद्ध के जोखिम को लेकर कह चुके हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि रूस सरकार इसे रोकने की पूरी कोशिश करेगा। उनके इस बयान को अमेरिका ने बेहद गैर-जिम्मेदाराना बताया। इस पर उन्होंने कहा कि मैं इस तरह के खतरों को कृतिम रूप से नहीं बढ़ाना चाहता। ये खतरा वास्तविक और गंभीर है और हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।  

इसे लेकर पश्चिमी देशों का क्या कहना है?
एक तरफ अमेरिका है जिसे रूस की बातें धमकी ज्यादा लगती हैं। वहीं, दूसरी ओर कई एक्सपर्ट और पश्चिमी देश इसे गंभीर खतरे के रूप में देखते हैं।  इन लोगों का मानना है कि दो स्थितियों में परमाणु हमले का खतरा बढ़ेगा। पहला अगर पुतिन ने यूक्रेन में खुद को फंसा हुआ महसूस किया। दूसरा अगर नाटो देशों ने इस संघर्ष में हिस्सा लिया।  

27 फरवरी को जब पुतिन ने न्यूक्लियर अर्टर जारी किया तो अमेरिका ने इसे किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं किया जाएगा। वहीं, नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने भी इसकी आलोचना की। 
अमेरिकी अधिकारियों ने ये भी कहा कि रूस में अब तक परमाणु हमले से जुड़ी किसी तरह की कोई हलचल नहीं दिखी। 28 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका परमाणु युद्ध को लेकर चिंतित नहीं है।  

न्यूज एजेंसी रॉयटर के मुताबिक अमेरिका और पश्चिमी देशों के एक्सपर्ट ये मानते हैं कि इस संघर्ष में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंका बहुत ही कम है।  1945 में पहली बार अमेरिका ने हिरोशिमा और नगासाकी पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद से किसी भी परमाणु शक्ति संपन्न देश ने युद्ध या संघर्ष में इन  हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है। ना ही इसका पक्षधर रहा है।  

फॉरेन अफेयर्स मैगजीन के गिडियन रोज ने भी लिखा कि पुतिन को अपवाद नहीं हैं। उन्हें पता है कि  ऐसा कुछ भी करने पर वो पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ जाएंगे। उनको इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेगे। साथ ही कोई भी तर्क उनके इस कदम को जायज नहीं ठहरा सकेगा।  

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रूस चाहता है कि यूक्रेन में अमेरिका और नाटो देशों का सीधा हस्तक्षेप नहीं करे। इस हस्तक्षेप को रोकने के लिए रूस परमाणु हमले की धमकी दे रहा है।  इसके जरिए वो पश्चिमी देशों को डराना चाहते हैं। 

 रूस परमाणु हथियार का उपयोग कैसे कर सकता है?
अगर रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने का फैसला करता है तो एक्सपर्ट उसके कई रास्ते देखते हैं। जैसे काला सागर के ऊपर परमाणु विस्फोट करके या फिर रूस यूक्रेन के किसी निर्जन इलाके में परमाणु विस्फोट करके अपनी शक्ति दिखा सकता है। इसके साथ ही वो किसी सैन्य ठिकाने या रिहायसी शहर को भी परमाणु हमले का निशाना बना सकता है।  हालांकि, परमाणु  हमला करने की स्थिति में रूसी सैनिकों की जान भी खतरे में आ सकती है। इसके साथ ही पड़ोसी देश होने की वजह से रूस को भी इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है।  

कुछ एनालिस्ट मानते हैं कि परमाणु हमला होने की स्थिति में अमेरिका पारंपरिक सैन्य हमले से इसका जवाब देगा। परमाणु हमले का जवाब परमाणु हमले से किए जाने का आसार बहुत कम है। इसकी वजह भी एक्टपर्ट बताते हैं। उनका कहना है कि अगर अमेरिका ने जवाबी परमाणु हमला किया तो ये बेहद विनाशकारी युद्ध में तब्दील हो जाएगा। ऐसी स्थिति में अमेरिका और पश्चिमी देशों को भी भारी नुकसान हो सकता है।  

हथियार नियंत्रण के लिए शिक्षित करने वाले एनजीओ आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के डैरेल किम्बल कहते हैं कि अमेरिका और नाटो देशों को राजनीतिक, कूटनीतिक और पारंपरिक सैन्य तरीकों से रूस को अलग-थलग करना चाहिए, जिससे इस संघर्ष को परमाणु युद्ध की ओर बढ़ाने की जगह खत्म किया जा सके।  

रूस के परमाणु हमला करने पर दुनिया में इसे लेकर क्या बदलाव हो सकते हैं?

नाटो अमेरिका निर्मित बैलेस्टिक मिसाइलों की तैनाती पोलैंड और रोमानिया जैसे देशों में कर सकता है। जिससे भविष्य में रूसी रॉकेट्स को ध्वस्त किया जा सके। नाटो की मौजूदा तैनाती ईरान, सीरिया और मध्य पूर्व को ध्यान में रखकर की गई है।  जहां तक भारत, पाकिस्तान जैसे अन्य परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की बात है तो इस युद्ध में इनके कूदने के आसार अभी तक ना के बराबर दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में इन राष्ट्रों द्वारा परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की आशंका भी ना के बराबर है। हमला होने के स्थिति में होने वाली प्रतिक्रिया को देखते हुए पाकिस्तान जैसे देश भी इसके इस्तेमाल की नहीं सोचेंगे। वहीं, भारत की नीति को देखते हुए भारत इस तरह के किसी युद्ध में कूदेगा इसकी कोई आशंका नहीं है। 

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रूस-यूक्रेन के बीच दो महीने से ज्यादा वक्त से संघर्ष चल रहा है। इस संघर्ष के दौरान कई बार ये बात सामने आई कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन के खिलाफ कभी भी न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। नौ मई को रूस के विजय दिवस से पहले एक बार फिर इस तरह की चर्चा है। पश्चिमी देशों के कई विश्लेषक और राजनेता भी ऐसा मानते हैं।

पश्चिम के देशों का इस मामले को लेकर क्या कहना है? रूस ने इसे लेकर क्या कहा है? रूस द्वारा परमाणु हथियारों का उपयोग करने की कितनी आशंकाएं हैं? आइये सामझते हैं…

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